
भोपाल। मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार रात एक अन्य बच्चे की मौत हो गई। छिंदवाड़ा की उमरेठ तहसील के पचधार गांव के तीन वर्षीय मयंक सूर्यवंशी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वह 25 सितंबर से नागपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती था। इसके बाद मृतक बच्चों की कुल संख्या 22 हो गई है। इनमें 19 बच्चे छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पांढुर्णा जिले का था। सभी की उम्र 8 वर्ष से कम है।
वहीं, कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा के निदेशक गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है। छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मामले में मध्य प्रदेश सरकार सरकार द्वारा बनाई गई विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने बुधवार रात चेन्नई में दबिश देकर कंपनी के डायरेक्टर रंगनाथन को पकड़ा है। एसआईटी ने कंपनी से महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवाओं के नमूने और प्रोडक्शन रिकॉर्ड भी जब्त किए हैं। उन्होंने बताया कि श्रीसन फार्मा के निदेशक रंगनाथन को गिरफ्तारी के बाद आज चेन्नई की एक अदालत में पेश किया जाएगा और ट्रांजिट रिमांड हासिल करने के बाद छिंदवाड़ा लाया जाएगा।
दरअसल, मप्र में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण किडनी संक्रमण से लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई विशेष जांच टीम (एसआईटी) बुधवार को तमिलनाडु पहुंची थी और चेन्नई और कांचीपुरम में कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस और कांचीपुरम स्थित प्लांट का दौरा कर साक्ष्य जुटाए। अधिकारियों के मुताबिक, कंपनी का मालिक तीन दिन पहले ही परिसर छोड़कर चला गया था। इसके बाद छिंदवाड़ा जोन के पुलिस उप महानिरीक्षक राकेश कुमार सिंह ने फरार दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर के संचालक रंगनाथन की गिरफ्तारी या गिरफ्तारी कराने वाले व्यक्ति को बीस हजार रुपये का नगद इनाम देने की घोषणा की थी।
इधर, रंगनाथन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने श्रीसन फार्मा के खिलाफ जांच तेज कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि सीरप के निर्माण में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की गई है। इसके परिणामस्वरूप यह जानलेवा उत्पाद बाजार में पहुंचा। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। साथ ही सीरप के वितरण नेटवर्क और उन दवा दुकानों की भी जांच की जा रही है, जिन्होंने इस उत्पाद को बेचा। लोगों से अपील की गई है कि वे कोल्ड्रिफ सिरप का इस्तेमाल तुरंत बंद करें और अपने बच्चों को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं।
इस बीच कोल्ड्रिफ कफ सिरप की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि यह सिरप नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से तैयार किया गया था। जांच के दौरान कंपनी के मालिक ने मौखिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने दो बार में प्रोपलीन ग्लायकॉल के 50 किलो के दो बैग खरीदे थे। यानी कंपनी ने 100 किलो जहरीला केमिकल खरीदा था। जांच में इसका न कोई बिल मिला है, न खरीद की एंट्री की गई। पूछताछ में जांच अधिकारियों को बताया गया कि भुगतान कभी कैश तो यूपीआई से किया था।
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